Friday, September 30, 2005

मीडिया तो सर्वज्ञ है

जी हां, मीडिया को सबको उपदेश देने का हक है। बाल की खाल निकालना, आलोचना करना और सनसनी फैलाना उसका स्वाभाविक कर्म है। कभी ज्यादा हो जाए तो छोटा सा खंडन छापना काफी है। जरा सी गलती हुई नहीं कि मीडिया ने आसमान सिर पर उठा लिया। गलतियां सब करते हैं और डेडलाइन और सनसनी फैलाने के दबाव में मीडिया शायद सबसे ज्यादा। लेकिन उसे शीशा कौन दिखाएगा। यह प्रक्रिया अगर मीडिया के भीतर से ही शुरू हो तो ज्यादा अच्छा। क्योंकि अगर कोई और ऐसा करेगा तो मीडिया उसे छोड़ेगा कहां।

इस छोटे से ब्लॉग पर हम मीडिया पर मौन चुटकियां लेंगे। उसे उसकी मजेदार गलतियों (सहज, असहज, गंभीर, अगंभीर, भोली, कुटिल, जाने-अनजाने या डेडलाइन के दबाव में हुई गलतियां भी) पर चुटकी लेने की प्रक्रिया में शामिल करेंगे। किसी दुर्भावना से नहीं, बल्कि आत्मालोचना के लिहाज से। निंदा के लिए नहीं बल्कि मनोरंजन के लिए। इस कार्य में मेरे मित्र और साथी नीरज दुबे का भी सहयोग है। और ब्लॉग शुरू करने के लिए मुझे ऊर्जा मिली है मित्रवर रवि रतलामी और जीतेंद्र चौधरी के साधिकार दबाव से। तो आइए मीडिया के मजेदार पक्षों का आनंद लें।

जरा यह चित्र देखिए और फिर एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक में छपा उसका कैप्शनः


अब तो मानेंगे कि मीडिया दूसरों के मन की बात पढ़ने में भी माहिर है

2 Comments:

At 5:42 PM, Blogger रवि रतलामी said...

बालेंदु भाई,
आपने हमारे आग्रह को ध्यान में रखा एवं अपने ब्लॉग की शुरूआत के लिए हमें याद किया इस हेतु आपको धन्यवाद.

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.

आपकी ब्लॉग परिकल्पना नायाब है. हमें मजा आएगा, सचमुच.

ब्लॉग कामनाएँ!

 
At 1:20 PM, Blogger Balendu Sharma Dadhich said...

रवि भाई,
आपने शुरू से ही प्रेरित और उत्साहित किया है। धन्यवाद।
बालेन्दु

 

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