Friday, October 21, 2005

यह किस देश-प्रदेश की भाषा है?

हिंदी अखबार आजकल भाषा के साथ कुछ अनूठे प्रयोग कर रहे दिखते हैं। अखबार की भाषा सरल होनी चाहिए इस बात पर किसी को ऐतराज नहीं हो सकता। लेकिन अखबार की भाषा खिचड़ी होनी चाहिए यह बात अपने गले नहीं उतरती। उत्तर प्रदेश के कुछ हिंदी अखबारों ने आजकल अंग्रेजी में भी लेख देने शुरू कर दिए हैं। पता नहीं वे हिंदी पाठक को जबरदस्ती अंग्रेजी सिखाने पर तुले हैं या अपना अंग्रेजी ज्ञान दिखाने पर। लेकिन यहां तक फिर भी ठीक है- कम से कम अंग्रेजी लेख पूरा अंग्रेजी में और हिंदी लेख पूरा हिंदी में तो है।

अब इन्हें देखिए। जिन्होंने यह लेख लिखा और जिन्होंने इसे प्रकाशित किया, दोनों प्रशंसा के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने इसमें हिंदी के साथ-साथ संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का भी जमकर प्रयोग किया है। लगता है उन्हें अंग्रेजी शब्दों को देवनागरी लिपि में लिखना भी ठीक नहीं लगा इसलिए उन्हें बाकायदा रोमन लिपि में ही लिखना बेहतर समझा। अब बलिया के पास छोटे से गांव में चाय की दुकान पर बैठकर अखबार पढ़ने वाला बेचारा पाठक इस भाषा का क्या करे?


लाल रंग में अंडरलाइन है संस्कृत, हरे में उर्दू और नीली तो अंग्रेजी है ही।
चलिए एक अन्य अखबार पर नजर डाली जाए। जब कभी अपरिहार्य हो, हिंदी में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करना वर्जित नहीं है, लेकिन क्या आप आम बोलचाल के शब्द भी अंग्रेजी में लिखेंगे, मसलन- न्यूजपेपर, चेयर, प्राइम मिनिस्टर आदि? क्या अंग्रेजी का hospitals शब्द लिखना अपरिहार्य है? चिकित्सालय, औषधालय, दवाखाना और अस्पताल... इतने तो समानार्थी शब्द मौजूद हैं। फिर भी यह खबर लिखने वाले सज्जन अंग्रेजी से कुछ ज्यादा ही लगाव रखते दिखते हैं। और तो और जिस संगठन का नाम उन्होंने अंग्रेजी में लिखना ठीक समझा उसके बीच में एन्ड की जगह एवं कर दिया। बोलिए, इसे क्या कहेंगे?


Tuesday, October 18, 2005

क्या आप उन्हें कायर साबित करना चाहते हैं?

राजस्थान के रेगिस्तान में भारत-रूस संयुक्त सेनाभ्यास के दौरान 16 अक्तूबर को एक दुर्घटना हो गई। विमान से पैराशूट के जरिए धरती पर उतारा गया वाहन, जिसमें घातक हथियार थे, उस स्थान के एकदम करीब आकर गिरा जहां रूसी रक्षा मंत्री और भारतीय थलसेनाध्यक्ष बैठे थे। वाहन के नीचे गिरते ही वे वहां से अलग हट गये। कोई और भी होता तो शायद यही करता। वाहन की चपेट में आकर जान देना कोई युद्ध के मैदान में शहीद होने जैसी गौरवशाली बात तो है नहीं। लेकिन दैनिक भास्कर कुछ और ही सोचता है। जरा उसके पहले पन्ने की लीड न्यूज का शीर्षक देखिए। आखिर वह क्या सिद्ध करना चाहता है?

ईश्वर भी निष्पक्ष नहीं?

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भी भूकंप आया और जम्मू-कश्मीर में भी। दोनों जगह भारी विनाश हुआ। लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर अधिक बदकिस्मत रहा। ऐसा क्यों हुआ? अपनी सामान्य समझ के लिहाज से हम यही कहेंगे कि भूकंप का केंद्र चूंकि मुजफ्फराबाद के पास था इसलिए वहीं अधिक नुकसान हुआ। लेकिन हमारा मीडिया इसमें कुछ और पढ़ रहा है। एक राष्ट्रीय अखबार के संपादकीय में लिखा है कि चूंकि आतंकवादी गतिविधियां वहीं से संचालित हो रही हैं इसलिए ईश्वर ने पाकिस्तान को सजा दी। उसका मानना है कि इसी तरह अमेरिका को भी कैटरीना और रीटा तूफानों के जरिए सजा दी गई है। जहां तक भारत का सवाल है, ईश्वर का नजरिया भारत के प्रति थोड़ा लचीला है। अखबार का मानना है कि हमारे यहां जो सूनामी से हानि हुई वह हमें सजा देने के लिए नहीं बल्कि संभलकर चलने की चेतावनी के तौर पर दी गई थी। मीडिया की मानें तो ईश्वर भी भेदभाव करता है। एक ही तरह की घटना में उसका संदेश अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग होता है। वाह सर्वज्ञ मीडिया। आप भी पढ़ें-

Saturday, October 15, 2005

किसने बचाया लोकतंत्र- हमने बचाया, हमने बचाया

बिहार में पिछले चुनावों के बाद लगाए गए राष्ट्रपति शासन को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक ठहरा दिया है। इसका श्रेय आप भले ही किसी को भी दें, पंजाब केसरी का दावा है कि वास्तव में वहां लोकतंत्र उसी ने बचाया है। जरा आप भी देखें कि किस तरह पंजाब केसरी ने खुद को शाबासी देते हुए अपनी ही तारीफों में पहला पन्ना रंग दिया है।


Saturday, October 01, 2005

संस्कारित हिंदी

हिंदी मीडिया हिंदी भाषा सीखने का सर्वश्रेष्ठ जरिया होना चाहिए। शायद बहुतों के लिए है भी। लेकिन अगर एक राष्ट्रीय अखबार के संपादकीय पृष्ठ पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में छपी भाषा अगर ऐसी हो (नीचे देखें) तो शायद उससे तो अपनी थकी हुई, रसहीन, घरेलू, व्याकरणवंचित हिंदी ही बेहतर है।

क्या आप अपने बच्चों को ऐसी संस्कारित हिंदी सिखाएंगे?

कमाल की डॉट कॉम

राजस्थान के एक प्रमुख अखबार ने एक बेहद उपयोगी वेबसाइट के बारे में जानकारी दी है, बाकायदा बॉक्स बनाकर, ताकि पाठकों की नजर से बच न जाए। जरा आप भी पढ़िए।

धन्यवाद इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए। बस वेबसाइट का नाम और बता देते तो अच्छा होता।