यह किस देश-प्रदेश की भाषा है?
हिंदी अखबार आजकल भाषा के साथ कुछ अनूठे प्रयोग कर रहे दिखते हैं। अखबार की भाषा सरल होनी चाहिए इस बात पर किसी को ऐतराज नहीं हो सकता। लेकिन अखबार की भाषा खिचड़ी होनी चाहिए यह बात अपने गले नहीं उतरती। उत्तर प्रदेश के कुछ हिंदी अखबारों ने आजकल अंग्रेजी में भी लेख देने शुरू कर दिए हैं। पता नहीं वे हिंदी पाठक को जबरदस्ती अंग्रेजी सिखाने पर तुले हैं या अपना अंग्रेजी ज्ञान दिखाने पर। लेकिन यहां तक फिर भी ठीक है- कम से कम अंग्रेजी लेख पूरा अंग्रेजी में और हिंदी लेख पूरा हिंदी में तो है।
अब इन्हें देखिए। जिन्होंने यह लेख लिखा और जिन्होंने इसे प्रकाशित किया, दोनों प्रशंसा के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने इसमें हिंदी के साथ-साथ संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का भी जमकर प्रयोग किया है। लगता है उन्हें अंग्रेजी शब्दों को देवनागरी लिपि में लिखना भी ठीक नहीं लगा इसलिए उन्हें बाकायदा रोमन लिपि में ही लिखना बेहतर समझा। अब बलिया के पास छोटे से गांव में चाय की दुकान पर बैठकर अखबार पढ़ने वाला बेचारा पाठक इस भाषा का क्या करे?
लाल रंग में अंडरलाइन है संस्कृत, हरे में उर्दू और नीली तो अंग्रेजी है ही।
चलिए एक अन्य अखबार पर नजर डाली जाए। जब कभी अपरिहार्य हो, हिंदी में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करना वर्जित नहीं है, लेकिन क्या आप आम बोलचाल के शब्द भी अंग्रेजी में लिखेंगे, मसलन- न्यूजपेपर, चेयर, प्राइम मिनिस्टर आदि? क्या अंग्रेजी का hospitals शब्द लिखना अपरिहार्य है? चिकित्सालय, औषधालय, दवाखाना और अस्पताल... इतने तो समानार्थी शब्द मौजूद हैं। फिर भी यह खबर लिखने वाले सज्जन अंग्रेजी से कुछ ज्यादा ही लगाव रखते दिखते हैं। और तो और जिस संगठन का नाम उन्होंने अंग्रेजी में लिखना ठीक समझा उसके बीच में एन्ड की जगह एवं कर दिया। बोलिए, इसे क्या कहेंगे?