Monday, January 15, 2007

इन्हें दोनों तरह के किडनैपरों की तलाश

दैनिक जागरण में छपे इस विज्ञापन को देखिए। अपहर्ता और अपहरणकर्ता दोनों की तलाश की जा रही है। विज्ञापन लिखने वाले सज्जन अपहृत को अपहर्ता लिख गए हैं। अब बेचारे अपहृत व्यक्ति को कौन तलाशेगा?

2 Comments:

At 1:42 AM, Anonymous Anonymous said...

बेचारा अपहृत... क्या हिंदी कुछ ज्यादा ही कठिन भाषा है, जो इतने आम शब्दों के मतलब भी लोगों को भूल रहे हैं। ये बिल्कुल वैसे ही है जैसे एक अखबार में कुछ दिन पहले छपा था कि कृतघ्न राष्ट्र ने इंदिरा गांधी को याद किया।

 
At 9:27 PM, Blogger अप्रवासी अरुण said...

हा-हा-हा। पुलिस वालों की भाषा से आप और उम्मीद भी क्या लगाते हैं? और अखबारों के विज्ञापन वालों को भाषा से क्या लेना-देना है वे तो बेचारे वैसे ही कट पेस्ट से आगे कुछ नहीं जानते। - हम हैं हमारा

 

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