Monday, September 03, 2007

ऐसी हिंदी से तो अंग्रेजी ही भली थी

दैनिक भास्कर विज्ञापन एजेंसियों के लिए पुरस्कार शुरू कर रहा है- कृतिकार पुरस्कार। अपने अखबार के संस्करणों में उसने इसे काफी प्रचारित किया है,लेकिन भारत के सबसे तेज बढ़ने वाले अखबार की भाषा तो देखिए। भैया, हिंदी अखबारों में अंग्रेजी विज्ञापन छापने पर रोक थोड़े है। ऐसी 'हिंदी' भाषा को भला देवनागरी में छापने की कौनसी मजबूरी आन पड़ी थी? रोमन में ही छाप लेते!

सोनिया-आडवाणी का ऐसा फोटो कहीं नहीं मिलेगा

कुछ महीने पहले राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और बायोकॉन की प्रमुख किरण मजूमदार शॉ का एक दिलचस्प चित्र छपा था, जिसके बारे में बाद में कहा गया था कि यह सिर्फ कैमरे के कोण का कमाल (या धमाल) है। अब कैमरे के ऐसे ही एक अन्य कोण से लिया गया चित्र देखिए जिसमें दो धुर-विरोधी राजनेता सोनिया गांधी और लालकृष्ण आडवाणी दिखाई दे रहे हैं। पाठकगण जान लें कि अमर उजाला में प्रकाशित यह चित्र मोर्फ या क्रॉप किया हुआ नहीं, बल्कि पूरी तरह वास्तविक चित्र है और बाकायदा पीटीआई ने जारी किया है। चित्र में दिख रहे कोण को संयोग ही मानिए, फोटोग्राफर की शरारत मानिये या फिर द्विआयामी चित्रों की सीमा जो आगे-पीछे खड़े लोगों के बीच की दूरी (depth) को नहीं दिखा पाते।