Wednesday, October 03, 2007

क्या राष्ट्रीय अखबारों का अब यही काम रह गया है?

राष्ट्रीय सहारा में महत्वपूर्ण खबर छपी है। दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी के मकान नंबर डी-9 के कुत्ते के बारे में। सहारा न्यूज ब्यूरो ने लिखा है कि यह कुत्ता बड़ा ही खौफनाक है और उससे पड़ोसी परेशान हैं। क्या राष्ट्रीय अखबारों का अब यही काम रह गया है कि किसी शहर की किसी कॉलोनी के किसी मकान के किसी कुत्ते को दो कॉलम का कवरेज दें? मेरे ख्याल से इस कुत्ते से अनेक नेताओं को रश्क हो जाएगा जिन्हें अखबारों के दफ्तरों के चक्कर पर चक्कर लगाने के बावजूद भी दो-चार लाइनों की खबर में निपटा दिया जाता है। अब जरा सोचिए कि डी-9, डिफेंस कॉलोनी के आसपास रहने वाले पाठकों के अलावा इस राष्ट्रीय अखबार के बाकी 99.999999999 फीसदी पाठकों के लिए इस खबर का कितना महत्व है?

शायद आगे चलकर राष्ट्रीय अखबारों में इससे भी अधिक महत्वपूर्ण खबरें पढ़ने को मिलें, जैसे कि आज ए-243 में कामवाली नहीं आई, सी-112 की डाक को डाकिया सीढ़ी पर फेंक गया या रिक्शेवाले ने ई-56 के मेहमान को पूरी कॉलोनी का चक्कर लगवा कर पंद्रह रुपए वसूल लिए आदि आदि। हम भी मानते हैं कि राष्ट्रीय मीडिया को आम लोगों तक पहुंचना चाहिए। लेकिन इतने नीचे तक? खैर.. आप भी पढ़िए यह महत्वपूर्ण खबर।

11 Comments:

At 2:37 PM, Blogger Srijan Shilpi said...

आश्चर्य है! पत्रकारिता का पहला पाठ भी ये लोग भूल गए हैं।

पत्रकारिता की पढ़ाई में पहला पाठ अमूमन इसी परिभाषा से शुरु होता है, कि कुत्ता यदि किसी आदमी को काट ले तो यह कोई ख़बर नहीं है। यदि कोई आदमी कुत्ते को काट ले तो वह ख़बर है।

लेकिन सच में अब इन बातों पर आश्चर्य नहीं होता। राष्ट्रीय अख़बारों में और राष्ट्रीय न्यूज चैनलों पर अब इसी स्तर की ख़बरें प्रमुखता पाने लगी हैं।

इसी तरह, प्रेस और मीडिया की ऐसी बेवकूफियों को उजागर करते रहिए। जो दूसरों को आईना दिखाते रहते हैं, उन्हें भी आईने में अपना चेहरा देखने की जरूरत है।

 
At 2:38 PM, Blogger Shiv said...

क्या करें ये 'राष्ट्रीय' समाचार पत्र भी. 'राष्ट्रीय' टेलीविजन चैनल और इस तरह के 'राष्ट्रीय' समाचार पत्र एक दूसरे के पूरक बनते जा रहे हैं.....कुत्ते के पास टीवी का कैमेरा ले जाना खतरनाक साबित हो सकता था, सो अखबार में लिख दिया....

 
At 2:57 PM, Blogger Ramashankar said...

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At 2:59 PM, Blogger Ramashankar said...

सही मुद्दा उठाया है आपने. यह पत्रकारिता का गिरता स्तर है. आज के समय में ८० फीसदी पत्रकार तो यूं ही बन जाते हैं क्योंकि उनके पास कहने को डिग्री होती है. लेकिन हकीकत की समझ नहीं. पहले डिग्री की जगह वास्तविकताओं से अवगत कराया जाता था. मुझे याद है कि शुरुआती दौर में मैं १०-११ बार तक एक विज्ञप्ति बनाता था उपर से हर बार मेरे वरिष्ठ उसमें कोई कमी निकाल देते और कुत्ते की तरह डांटते कोई दो साल बाद मुझे खबरे लिखने का मौका मिला. आज तो लेखक सही व्याकरण नहीं जानते इनसे अन्य लेखन की क्या उम्मीद करेंगे.

 
At 4:48 PM, Blogger संजय बेंगाणी said...

अच्छा यह महत्त्वपूर्ण खबर नहीं है!!?
पता नहीं मुझे तो बहुत गम्भीर मामला लगा, ऐसा ही एक मामला मेरी गाड़ी से जुड़ा हुआ है, कुछ कुत्ते रोज उसके टायर खराब कर जाते है. देखते है कब मेरा दुख अखबार के माध्यम से जनता तक पहूँचता है.

 
At 1:59 PM, Blogger Shastri JC Philip said...

हमारे पडोस का कुत्ता कभी किसी को कुछ नहीं कहता है/करता है. उम्मीद है कि उसकी भी बारी आ जायगी.

जब करने को कुछ नहीं रहता है तो लोग कुछ नहीं करने लगते हैं -- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

 
At 4:20 PM, Blogger आशीष कुमार 'अंशु' said...

maan gay aapakee PARAKHI NAZAR or BLOG SUPER KO,
Shayad ab MEDIA KARMI thore sambhal jay... KYOKI
shhhhhhhhhhhhh KOI HAI

 
At 7:56 PM, Blogger tille85 said...

Hello! my name is Tina, i wounder if you could translate a sentence for me, i have a realy hard time getting it translated from english into hindi.
The sentence i want to get translated is....

I am my beloved, and my beloved is mine

Thank you

 
At 5:09 AM, Blogger अविनाश वाचस्पति said...

वाह मीडिया की जगह
ब्लॉग का नामकरण आह मीडिया
लगता है ज्यादा उपयुक्त।

अभी अभी आपके इस ब्लॉग पर पहुंचा हूं।

पर यह समझ नहीं आया कि 3 अक्तूबर से 15 दिसम्बर तक

अवकाश रहा, या कुछ नहीं मिला
चलते रहना चाहिए यह सिलसिला

या व्यस्त रहे कहीं ओर
अब तो देख लें इस ओर

 
At 1:08 PM, Blogger Digvijay Singh Rathor Azamgarh said...

This comment has been removed by the author.

 
At 1:08 PM, Blogger Digvijay Singh Rathor Azamgarh said...

क्या करे बेचारे पत्रकार भाई ..................... लगता है न्यूज़ के चक्कर मे किसी कुत्ते से मुलाकात हो गए होगी ...........सारा गुस्सा उसपर खबर लिख कर निकल दिया . जहा तक राष्ट्रीय समाचार पत्र की बात है तो यह मानना की डेल्ही से निकलने वाला पत्र राष्ट्रीय है तो गलत है. अब तो राष्ट्रीय पत्रों की बाते ही बेमानी हो गए है

 

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