Thursday, August 28, 2008

एचसीएल ला रहा है क्रांतिकारी किस्म के कंप्यूटर!

जागरण-जोश वेबसाइट का ज़वाब नहीं। उसने खबर दी है कि एचसीएल बड़े कमाल के डेस्कटॉप कंप्यूटर पेश करने जा रही है। ऐसे कंप्यूटर, जिनमें प्रोसेसर भी होगा! चौंक गए न आप! जी हां, इनमें प्रोसेसर भी होगा! यानी अब तक हम जिन कंप्यूटरों पर काम कर रहे थे वे प्रोसेसर के बिना ही काम करते थे? पता नहीं यह बड़ी खबर है या वह बड़ी खबर थी। आप भी देखिए-

Wednesday, August 27, 2008

अर्जेंट ट्रीटमेंट बहुत ज़रूरी होता है

नवभारत टाइम्स में बिग बॉस की प्रतिबागी जेड गूडी के बारे में खबर छपी है जिसका शीर्षक है - जेड गूडी का अर्जेंट ट्रीटमेंट ज़रूरी था। 'अर्जेंट' था तो 'ज़रूरी' लिखने की भला कौनसी जरूरत आन पड़ी थी मित्रो? कुछ-कुछ वैसी ही बात नहीं हो गई कि मेरे सिर में हैडेक है?

Tuesday, August 26, 2008

ममता बनर्जी का एटीएम रिकॉर्ड ठीक नहीं?

याहू जागरण पर एटीएम के साथ धोखाधड़ी करने वाले लोगों से संबंधित खबर दी गई है और फोटो लगाया गया है तृणमूल कांग्रेस की फायरब्रांड अध्यक्ष ममता बनर्जी का। मित्रो, जरा संभल के। ममतादी को पता चला तो दफ्तर के आगे धरने पर बैठ जाएंगी। (यह जानकारी भेजी है श्री बलबिंदर पाबला ने)।

Thursday, August 14, 2008

बेनजीर हत्याकांड के लिए खुद पर ही उंगली उठाई मुशर्रफ ने!

पाकिस्तानी अखबार भी किसी से कम क्यों रहें? ऑनलाइन इंटरनेशनल न्यूज नेटवर्क की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर का शीर्षक कहता है कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने बेनजीर भुट्टो की हत्या के पीछे अपना ही हाथ होने का संदेह जताया है। परवेज मुशर्रफ से इतनी ईमानदारी की उम्मीद तो आपने या हमने कभी नहीं की थी। धन्य हो इस अखबार का जिसने इतनी बड़ी खबर रिपोर्ट की। यह अलग बात है कि खबर में ऊपर कुछ है अंदर कुछ।

Tuesday, August 05, 2008

मनमोहन सिंह के ऐसे चित्र आपने कभी नहीं देखे होंगे

एनडीटीवी खबर डॉट कॉम पर आज दो अलग-अलग मौकों पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के दो चित्र लगे हैं। चित्रों में डॉ. सिंह की जापानी विदेश मंत्री से मुलाकात दिखाई गई है। इतनी महत्वपूर्ण घटना के दो या तीन चित्र लगाने में कोई हर्ज नहीं है। मगर जरा चित्र तो देखिए..

चित्र-एक



चित्र- दो

Monday, August 04, 2008

आतंकवाद के भावी शिकारों की सूची?

इकॉनामिक टाइम्स (हिंदी) ने आतंकवाद के शिकार लोगों के बारे में दी गई खबर के साथ एक बॉक्स प्रकाशित किया है जिसमें बहुत से लोगों के चित्र लगाते हुए ऊपर शीर्षक दिया गया है- अब तक 49, कब रुकेगी यह गिनती? यहां जिन लोगों के चित्र लगाए गए हैं क्या ये उन 49 लोगों के चित्र हैं जो आतंकवाद के शिकार हुए? हर पाठक इस देखकर ऐसा ही सोचेगा। लेकिन चित्रों की संख्या सौ है और वे भी सभी प्रोफेशनल किस्म के लोग दिखाई देते हैं जिन्हें देखकर साफ हो जाता है कि इन चित्रों को कहीं से ऐसे का ऐसे उठाकर लगा दिया गया है। सवाल उठता है कि क्या किसी को यह अधिकार है कि वह मृतकों के बारे में खबर देते हुए ऐसे लोगों के चित्र लगा दे जो जिन्दा हैं और जिनका इस खबर से कोई लेना देना नहीं है? वह भी एक दो के नहीं बल्कि सौ लोगों के? खबर के शीर्षक से यह ध्वनि भी निकलती है कि 49 लोगों के बाद अब इन सौ लोगों की बारी है। इकॉनामिक टाइम्स को आत्मालोचना करनी चाहिए कि उसके इस इनोवेटिव कदम से लोगों में संदेश क्या गया होगा।