Thursday, June 10, 2010

रैंकिंग नंबर 3900

कैट, आईआईटी जेईई और सीबीएसई बोर्ड आदि में शीर्ष पर आने वाले छात्रों की तसवीरें अखबारों में खूब छपती हैं। पहली, दूसरी यहां तक कि दसवीं रैंकिंग तक लाने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों के चित्र और समाचार छपना बहुत आम है, और ऐसी प्रेरणादायक खबरें छपनी भी चाहिए। लेकिन अगर कोई अखबार 900 वीं रैंकिंग लाने वाले छात्र का चित्र छापे तो शायद आपको अटपटा लगेगा। मगर जरा ठहरिये... अगर 3900 वीं रैंकिंग लाने पर कोई राष्ट्रीय अखबार दो कॉलम का चित्र प्रकाशित करे तो उसे क्या कहेंगे? नवभारत टाइम्स ने यही किया है।

छात्र की मेहनत और उपलब्धि का अपना महत्व है। वह इसके लिए बधाई का पात्र है। लेकिन क्या एक राष्ट्रीय अखबार में फोटो छपने के लिए यह इतनी महत्वपूर्ण रैंकिंग है? यदि हां, तो इससे पहले के 3899 छात्रों ने क्या बिगाड़ा है, उनके चित्र क्यों न छपें?